डॉक्टर चाहिए
भारत बीमार था
परिवार बाले उसे
डॉक्टर को छोड़
चाय बाले के पास ले गए ।
चाय बाले ने
चाय में भांग घोल कर पिला दी
सभी नशे में है
अब भारत और भी ज्यादा बीमार हो गया ।
चाय बाले ने सभी को
हाथ जोड़ नमस्कार किया
आदर से और संस्कारों के दिखाबे के साथ
बैंच पर बिठाकर सत्कार किया
फिर परिवार का
भावनात्मक निरीक्षण किया
पता चला सब कमजोर थे
स्वार्थी , लालची , घमंडी और अनगढ़ थे
सभी के विचार भिन्न भिन्न थे
कर्मकांडों में व्यस्त थे
एक दूसरे को नीचे दबाने में मदमस्त थे
मगर रहते सब एक साथ थे,सोते सब एक साथ थे ।
परिवार बड़ा था
शक्तिशाली मगर कमजोर था
चाय बाले ने दिमाग़ चलाया
और सभी को चाय में घोलकर भांग पिलाया ।
सभी का दिमाग खाने लगा चक्का
जीव लड़खड़ाने लगी
एकदूसरे की छुपी कमियां
और लालची महत्वाकाँक्षाएँ जवान पर आने लगी ।
चाय बाले ने मौके पर मारा चौका
सभी को स्वर्ग से उतरता देवदूत दिखाया
सपने पूरे करने का विस्वास दिलाया
और हो गया दिग्दर्शक परिवार का ।
नफ़रत भरना सभी के मन में शुरू किया
जो थोड़ा बहुत विस्वास बाकी था
उसको भी रफूचक्कर किया
अब सब एक दूसरे से डरने लगे और नफ़रत करने लगे ।
भारत ये सब देख रहा था
बर्बाद हुआ परिवार, पर दर्द उसको हो रहा था
भारत अब ज्यादा है बीमार
घर में घिंच गयी दीवाल और तलवार ।
एक दूसरे के सब हो गए खून प्यासे
परिवार हो गया व्यस्त
धर्म का लेकर लक्ष्य
झूठ फैलाने का बनकर एजेंट ।
भारत अब भी बीमार पड़ा है आंगन में
तड़फरहा है सिकुड़ कर अपने दामन में
लीला देख रहा है चाय की
आश लगाये नये डॉक्टर साहब की ।