Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
9 Jan 2017 · 2 min read

डियर जिन्दगी

डियर जिन्दगी,
जीती आयी हूँ मैं तुम्हें आज तक कभी रो के कभी हँस के,कभी-कभी बहुत झल्लाया है तुमने और बहुत बहुत रूलाया भी
इतना कि ……
मौत से दोस्ती करने को जी चाहा वही मौत जो तुम्हारी दुश्मन है|पर कुछ तो है तुम में कि तुम्हारे दिए इतने जख्मों के बावजूद मौत मुझे तुम्हारे खिलाफ बरगला न सकी,अच्छा ही हुआ वरना मैं उन खूबसूरत पलों के तोहफे कैसे खोल पाती जो तुमने छुपाकर रखे थे अपने पहलू में मेरे लिए|कैसे जान पाती कि तुम जो मुझे इतनी बुरी लगती हो कभी कभी, अनिर्वचनीय सुन्दर,रोमांचक और अद्भुत भी हो|
पर अब वक्त की भट्टी में तपते तपते मेरी तुमसे दोस्ती गहराती जा रही है और तुम्हारे प्रति मेरा प्रेम भी बढ़ता जा रहा है|मैं अब तुम्हें समझने लगी हूँ,समझने लगी हूँ कि ये जो तुम कभी-कभी रूखी और कठोर हो जाती हो वो तरीका है तुम्हारा मुझे सँवारने का,मुझे निखारने का|वाकई तुम मेरी बेस्ट फ्रेण्ड हो डियर जिन्दगी|पर एक बात कहूँ जब कुछ लोग तुम्हें समझ नहीं पाते और तुम्हारे दिए हुए चंद जख्मों के आधार पर तुम्हें खलनायक समझकर छलावी मौत से दोस्ती कर लेते हैं तो मुझे बड़ा अफसोस होता है|उस वक्त मेरा मन करता है काश मैं या मुझ जैसे वे लोग जिन्होंने जिन्दगी से दोस्ती कर ली है और जो मौत के छलावे से बच निकले आये हैं,उन्हें तुमसे रूठकर मौत से दोस्ती करने जा रहे लोगों को समय पर पहचानने और समझाने का एक मौका मिल जाता तो असमय होने वाली ऐसी मृत्यु-मित्रता को रोका जा सकता|मैं तुम्हारी दोस्ती की अहमियत समझती हूँ डियर जिन्दगी और इसीलिए मैं तुम्हें प्यार करने वाले,तुम्हें चाहने वाले,तुम्हें शिद्दत से जीने वाले और तुम्हारे साथ हर हाल में खुश रह कर जीने वाले दोस्तों की संख्या बढ़ाना चाहती हूँ|आशा करती हूँ मेरी इस कोशिश में तुम भी मेरा साथ दोगी|ओ.के.लव यू डियर जिन्दगी साथ चलते चलते…….
लेखिका हेमा तिवारी भट्ट

Language: Hindi
Tag: लेख
458 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
" ब्रह्माण्ड की चेतना "
Dr Meenu Poonia
#डॉ अरुण कुमार शास्त्री
#डॉ अरुण कुमार शास्त्री
DR ARUN KUMAR SHASTRI
★गहने ★
★गहने ★
★ IPS KAMAL THAKUR ★
कभी जो रास्ते तलाशते थे घर की तरफ आने को, अब वही राहें घर से
कभी जो रास्ते तलाशते थे घर की तरफ आने को, अब वही राहें घर से
Manisha Manjari
सच
सच
Neeraj Agarwal
पहले देखें, सोचें,पढ़ें और मनन करें,
पहले देखें, सोचें,पढ़ें और मनन करें,
DrLakshman Jha Parimal
हर दर्द से था वाकिफ हर रोज़ मर रहा हूं ।
हर दर्द से था वाकिफ हर रोज़ मर रहा हूं ।
Phool gufran
कब जुड़ता है टूट कर,
कब जुड़ता है टूट कर,
sushil sarna
विषय सूची
विषय सूची
पाण्डेय चिदानन्द "चिद्रूप"
खुशी के पल
खुशी के पल
RAKESH RAKESH
"संघर्ष "
Yogendra Chaturwedi
फूल मोंगरा
फूल मोंगरा
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
World Dance Day
World Dance Day
Tushar Jagawat
2283.🌷खून बोलता है 🌷
2283.🌷खून बोलता है 🌷
Dr.Khedu Bharti
एक तो धर्म की ओढनी
एक तो धर्म की ओढनी
Mahender Singh
आजादी..
आजादी..
Harminder Kaur
मैं बनना चाहता हूँ तुम्हारा प्रेमी,
मैं बनना चाहता हूँ तुम्हारा प्रेमी,
Dr. Man Mohan Krishna
खामोशियां मेरी आवाज है,
खामोशियां मेरी आवाज है,
Stuti tiwari
■
■ "शिक्षा" और "दीक्षा" का अंतर भी समझ लो महाप्रभुओं!!
*Author प्रणय प्रभात*
कैसे हाल-हवाल बचाया मैंने
कैसे हाल-हवाल बचाया मैंने
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
मेरी कलम
मेरी कलम
Shekhar Chandra Mitra
मनुष्य
मनुष्य
Sanjay ' शून्य'
*राजा और रियासतें , हुईं राज्य सरकार (कुंडलिया)*
*राजा और रियासतें , हुईं राज्य सरकार (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
"नंगे पाँव"
Pushpraj Anant
आधुनिक भारत के कारीगर
आधुनिक भारत के कारीगर
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
हे नाथ आपकी परम कृपा से, उत्तम योनि पाई है।
हे नाथ आपकी परम कृपा से, उत्तम योनि पाई है।
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
*हे!शारदे*
*हे!शारदे*
Dushyant Kumar
बीज और बच्चे
बीज और बच्चे
Manu Vashistha
‘ विरोधरस ‘---6. || विरोधरस के उद्दीपन विभाव || +रमेशराज
‘ विरोधरस ‘---6. || विरोधरस के उद्दीपन विभाव || +रमेशराज
कवि रमेशराज
मुकद्दर तेरा मेरा
मुकद्दर तेरा मेरा
VINOD CHAUHAN
Loading...