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26 Mar 2020 · 2 min read

डर

डर एक वर्तमान की परिस्थितियों से भविष्य में होने वाले प्रभाव के काल्पनिक निष्कर्ष की मनोदशा है।
इस प्रकार की मनोदशा के निर्माण के विभिन्न कारक पूर्व में समान परिस्थितियों में अनुभव किए भविष्य के परिणाम, समूह की सोच से निर्मित व्यक्तिगत मनोवृत्ति, अप्रत्याशित रूप से घटी दुर्घटनाएं जिनसे व्यक्तिगत सोच पर गहरा प्रभाव,
सामाजिक मान्यताएं एवं रूढ़ीवादी सोच, अज्ञान से व्यक्तिगत विश्लेषण की कमी, अंतर्निहित संस्कार, वंशानुगत गुणों का प्रभाव, इत्यादि हैं ।
डर को दो श्रेणियों में विभाजित किया जा सकता है । प्रथम अस्थाई जो किसी अफवाह द्वारा लोगों के मस्तिष्क पर प्रभाव डालने के लिए निहित स्वार्थी तत्वों द्वारा फैलाया जाता है। दूसरी श्रेणी में वह डर है जो कालांतर में किसी व्यक्ति विशेष द्वारा विपरीत परिस्थितियों में उसके द्वारा प्राप्त अनुभवों एवं व्यक्तिगत सोच पर आधारित होता है।
डर एक मानसिक स्थिति है जो मानव मस्तिष्क में नकारात्मक रसायनों के स्राव से निर्मित होती है ।जो एक सामान्य प्रक्रिया है । परंतु इसकी मात्रा एवं तीव्रता भिन्न-भिन्न अनुपातों में विभिन्न परिस्थितियों में घटती बढ़ती रहती है।
डर को जीतने के लिए सकारात्मक मनःस्थिती का होना आवश्यक है । जिससे वर्तमान परिस्थितियों का आकलन कर होने वाले परिणामों का पर्याप्त प्रज्ञा शक्ति से विश्लेषण कर अनुमान निकाला जा सके। और पर्याप्त साहस का निर्माण किया जा सके।
प्रारंभिक नकारात्मक सोच डर को और भी बढ़ाने और सुदृढ़ करने के लिए सहायक होती है।
परंतु वर्तमान परिस्थितियों के नकारात्मक पहलूओं पर विचार करना भी आवश्यक है।
जिससे परिणामों की तीव्रता का पूर्वानुमान किया जा सके और डर के विरुद्ध साहस से उठाए गए कदमों को निरापद बनाए जा सके । और विवेकहीन दुस्साहस करने से बचा जा सके।
मैं स्पष्ट करना चाहूंगा कि डर एक प्राकृतिक मनोदशा है जिसका अस्तित्व होना भी आवश्यक है।
जो मनुष्य को विपरीत परिस्थितियों मैं खुद को सुरक्षित रखकर जीवन संघर्ष के लिए बाध्य करती है। और दुस्साहस कर जीवन को नष्ट करने से रोकती है ।
मुझे वह कहावत याद आती है कि दूध का जला छाछ भी फूंक फूंक कर पीता है । जो यह स्पष्ट करती है कि मनुष्य अपने अनुभवों से बहुत कुछ सीखता है ।
इसी प्रकार जब तक डर का अनुभव कर सामना नहीं किया जाएगा तब तक उसकी तीव्रता का अनुमान नहीं होगा । और इस प्रकार उसका सामना करने के लिए पर्याप्त साहस का निर्माण नहीं होगा।

Language: Hindi
Tag: लेख
4 Likes · 4 Comments · 336 Views
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