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3 Apr 2017 · 1 min read

डर रहा हूँ मै.

अंधकार को देखकर,उजाला खो जाने से डर रहा हूँ मै
एक आहट हो जाने पर सिसकियाँ भर ले रहा हूँ मै
जरा-सी चोट लग जाने पर गुमचोट का इंतजार कर रहा हूँ मै
थोडा-सा प्यार पाने के लिए अपने आप को दर्द दे रहा हूँ मै
क्या करु डर रहा हूँ मै

आँखे बंद हो जाने पर कल को खोज रहा हूँ मै
स्वप्ऩ मे डर को देखकर हिम्मत माँग रहा हूँ मै
जागते-जागते अपनी आँखो मे से नींद को ओझल कर रहा हूँ मै
क्या करु अब तो सोने से भी डर रहा हूँ मै

दर्द पकडकर उसे सलाखो मे जकडने की कोशिश कर रहा हूँ मै
खिडकी से बाहर देखकर एक उम्मीद की राह खोज रहा हूँ मै
एक जगह बैठे-बैठे बस यही सोच रहा हूँ मै
कि दूसरो को देखकर अपने आप को कोस रहा हूँ मै
या कल को याद करके अपने आप को खोद रहा हूँ मै
क्या करु आज से डर रहा हूँ मै

धीर रख धीर खो जाने से डर रहा हूँ मै
कहीं दम न निकल जाएं यह महसूस कर रहा हूँ मै
कि एक आसमां का साया है इसलिए धूप मे भी चल रहा हूँ मै
अब तो कदम बढ़ाने के लिए भी एक हाथ तलाश रहा हूँ मै
क्या करु सांझ मे भी अपने शरीर से छलकी हुई धूप को खो जाने से डर रहा हूँ मै……..
………
……… शि.र.मणि

Language: Hindi
1 Like · 350 Views
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