Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
21 Apr 2017 · 1 min read

डमरू घनाक्षरी

***डमरू घनाक्षरी****
(*इसमें सभी वर्ण मात्रा रहित होते है*)
सकल जगत तव नमन करत रब।
भगवन न नजर कर इधर उधर।।
मन नगर नगर चल डगर डगर,
जब तक न पकड़ तव कर नटवर ।
तज कर सब मद कर चरण भजन,
कर करम सहज कर सफल उमर।
हरत अघनहर तव सब अघ पर।
जतन सकल कर मन चरनन धर।
******* मधु गौतम

2 Likes · 1 Comment · 743 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
स्वयंसिद्धा
स्वयंसिद्धा
ऋचा पाठक पंत
उजियारी ऋतुओं में भरती
उजियारी ऋतुओं में भरती
Rashmi Sanjay
ग़ज़ल
ग़ज़ल
ईश्वर दयाल गोस्वामी
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Jitendra Kumar Noor
"शब्द"
Dr. Kishan tandon kranti
खो गयी हर इक तरावट,
खो गयी हर इक तरावट,
Prashant mishra (प्रशान्त मिश्रा मन)
****उज्जवल रवि****
****उज्जवल रवि****
Kavita Chouhan
💐अज्ञात के प्रति-149💐
💐अज्ञात के प्रति-149💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
माफ़ कर दो दीवाने को
माफ़ कर दो दीवाने को
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
*यात्रा पर लंबी चले, थे सब काले बाल (कुंडलिया)*
*यात्रा पर लंबी चले, थे सब काले बाल (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
यायावर
यायावर
Satish Srijan
कई रात को भोर किया है
कई रात को भोर किया है
कवि दीपक बवेजा
उल्लासों के विश्वासों के,
उल्लासों के विश्वासों के,
*Author प्रणय प्रभात*
बोलते हैं जैसे सारी सृष्टि भगवान चलाते हैं ना वैसे एक पूरा प
बोलते हैं जैसे सारी सृष्टि भगवान चलाते हैं ना वैसे एक पूरा प
Vandna thakur
देश के संविधान का भी
देश के संविधान का भी
Dr fauzia Naseem shad
ग़ज़ल/नज़्म - मैं बस काश! काश! करते-करते रह गया
ग़ज़ल/नज़्म - मैं बस काश! काश! करते-करते रह गया
अनिल कुमार
पहुँचाया है चाँद पर, सफ़ल हो गया यान
पहुँचाया है चाँद पर, सफ़ल हो गया यान
Dr Archana Gupta
खुदा ने तुम्हारी तकदीर बड़ी खूबसूरती से लिखी है,
खुदा ने तुम्हारी तकदीर बड़ी खूबसूरती से लिखी है,
Sukoon
गंदा धंधा
गंदा धंधा
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
आम आदमी की दास्ताँ
आम आदमी की दास्ताँ
Dr. Man Mohan Krishna
कर्मयोगी
कर्मयोगी
Aman Kumar Holy
रमेशराज की कहमुकरी संरचना में 10 ग़ज़लें
रमेशराज की कहमुकरी संरचना में 10 ग़ज़लें
कवि रमेशराज
जब कभी प्यार  की वकालत होगी
जब कभी प्यार की वकालत होगी
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
3198.*पूर्णिका*
3198.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
हाँ, ये आँखें अब तो सपनों में भी, सपनों से तौबा करती हैं।
हाँ, ये आँखें अब तो सपनों में भी, सपनों से तौबा करती हैं।
Manisha Manjari
★बादल★
★बादल★
★ IPS KAMAL THAKUR ★
वर्षा रानी⛈️
वर्षा रानी⛈️
निरंजन कुमार तिलक 'अंकुर'
जिनमें बिना किसी विरोध के अपनी गलतियों
जिनमें बिना किसी विरोध के अपनी गलतियों
Paras Nath Jha
सभी धर्म महान
सभी धर्म महान
RAKESH RAKESH
हरित - वसुंधरा।
हरित - वसुंधरा।
Anil Mishra Prahari
Loading...