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1 Jun 2021 · 1 min read

ठिठुरा चाँद

ठिठुरा ठिठुरा रहता चाँद
जब शीत लहर चलती है
प्रिया चाँदनी साथ रहती
हर पल साथ निभाया करती है

अम्बर का है विस्तार विस्तृत
देख चाँद होता है हतप्रभ
कभी इस छोर कभी उस छोर
चाँदनी पांव पसारा करती है

माणिक जैसे शोभित तारे
ज्यों आसमानी चादर में बूँटे
चाँद छिपा बादल की ओट
अधीर चाँदनी ढूंढ़ा करती है

नीलवर्णी होता है जब नभ
दिग दिगन्त हो जाते है शम
पूर्णिमा का चाँद होता गोल
चाँदनी यौवन बिखेरा करती है

आसमान का सफर तय कर
रातरानी से मधु गुफ्तगू कर
रश्मिरथी को आता देख कर
चाँदनी चाँद संग चला करती है

Language: Hindi
75 Likes · 1 Comment · 401 Views
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