टूटा अभिमान तम का
नभ में सूरज चमका,
टूटा अभिमान तम का,
चहुँओर लाली छाई,
मौसम हुआ सुखदायी,
छोड़ चले पंछी नीड़,
भू पर बढ़ने लगी भीड़,
बह रही हवा मंद मंद,
कवि लिख रहा छंद छंद,
धूल लगी अब उड़ने ,
आँधियाँ भी लगी चलने,
छुप गए गगन के तारे,
जैसे स्नेह प्रेम गुण सारे,
क्या से क्या हो जाता है,
दिन भी रोज ढल जाता है,
नित्य सुबह फिर होती है,
बाढ़ नदी भी शांत हो जाती है,
हर पल तुम मुस्कुरालो,
यही जीवन गीत गुनगुनालो,
।।।जेपीएल।।।