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10 Jul 2020 · 1 min read

टूटकर खुद

टूटकर खुद बिखर रहा हूँ मैं
हार से कब मुकर रहा हूँ मैं

कर लिया खुद से ही जो समझौता
लोग समझे कि डर रहा हूँ मैं

मेरी ख़ामोशियों का मतलब है
मुश्किलों से गुज़र रहा हूँ मैं

ख़ौफ़ का नाम तक नहीं है फिर
किसलिए यार डर रहा हूँ मैं

माफ़ करना मुझे नहीं, बेशक़
वक़्त से पहले मर रहा हूँ मैं

1 Like · 1 Comment · 326 Views
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