Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
11 Apr 2019 · 1 min read

झूठ का बोलबाला… (तीन मुक्तक)

झूठ का बोलबाला… (तीन मुक्तक)
■■■■■■■■■■■■■
नौकरी है नहीं क्या करे आदमी
रोटियों के लिये भी मरे आदमी
झूठ का ही पुलिंदा लिये देश में
राज करने लगे मसखरे आदमी

सत्य का पेड़ देखो हुआ ठूँठ अब
हो रहा है हरा क्यों यहाँ झूठ अब
सत्य सुनकर सुनो सत्य का सारथी
हमक़दम था मेरा पर गया रुठ अब

झूठ का बोलबाला बहुत हो गया
अब शराफ़त पे भाला बहुत हो गया
अब तो बोलो कि धरती ये रोने लगी
सत्य के मुँह पे ताला बहुत हो गया

– आकाश महेशपुरी

Language: Hindi
571 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
आँख से अपनी अगर शर्म-ओ-हया पूछेगा
आँख से अपनी अगर शर्म-ओ-हया पूछेगा
Fuzail Sardhanvi
अच्छा खाना
अच्छा खाना
Dr. Reetesh Kumar Khare डॉ रीतेश कुमार खरे
■ बच कर रहिएगा
■ बच कर रहिएगा
*Author प्रणय प्रभात*
Hello Sun!
Hello Sun!
Buddha Prakash
ਸੰਵਿਧਾਨ ਦੀ ਆਤਮਾ
ਸੰਵਿਧਾਨ ਦੀ ਆਤਮਾ
विनोद सिल्ला
आ जाओ
आ जाओ
हिमांशु Kulshrestha
भक्तिभाव
भक्तिभाव
Dr. Pradeep Kumar Sharma
फल आयुष्य
फल आयुष्य
DR ARUN KUMAR SHASTRI
"कब तक छुपाहूँ"
Dr. Kishan tandon kranti
कुछ यूं हुआ के मंज़िल से भटक गए
कुछ यूं हुआ के मंज़िल से भटक गए
Amit Pathak
मन पतंगा उड़ता रहे, पैच कही लड़जाय।
मन पतंगा उड़ता रहे, पैच कही लड़जाय।
Anil chobisa
अहिल्या
अहिल्या
अनूप अम्बर
जब जब तुम्हे भुलाया
जब जब तुम्हे भुलाया
Bodhisatva kastooriya
भूख
भूख
RAKESH RAKESH
बुरा समय था
बुरा समय था
Swami Ganganiya
हिन्दुत्व_एक सिंहावलोकन
हिन्दुत्व_एक सिंहावलोकन
मनोज कर्ण
" वो क़ैद के ज़माने "
Chunnu Lal Gupta
*धन्य-धन्य वे लोग हृदय में, जिनके सेवा-भाव है (गीत)*
*धन्य-धन्य वे लोग हृदय में, जिनके सेवा-भाव है (गीत)*
Ravi Prakash
2431.पूर्णिका
2431.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
जीवन एक संघर्ष
जीवन एक संघर्ष
AMRESH KUMAR VERMA
भारत है वो फूल (कविता)
भारत है वो फूल (कविता)
Baal Kavi Aditya Kumar
💐प्रेम कौतुक-489💐
💐प्रेम कौतुक-489💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
तेरा - मेरा
तेरा - मेरा
Ramswaroop Dinkar
जात आदमी के
जात आदमी के
AJAY AMITABH SUMAN
अपनों की भीड़ में भी
अपनों की भीड़ में भी
Dr fauzia Naseem shad
या रब
या रब
Shekhar Chandra Mitra
गुलदस्ता नहीं
गुलदस्ता नहीं
Mahendra Narayan
ना होगी खता ऐसी फिर
ना होगी खता ऐसी फिर
gurudeenverma198
Pal bhar ki khahish ko jid bna kar , apne shan ki lash uthai
Pal bhar ki khahish ko jid bna kar , apne shan ki lash uthai
Sakshi Tripathi
Everyone enjoys being acknowledged and appreciated. Sometime
Everyone enjoys being acknowledged and appreciated. Sometime
पूर्वार्थ
Loading...