जज़्बातों का सैलाब
दीवाने लौट आ , कुछ नही मिलेगा
यहाँ मज़ा कम , आवाज़ ज्यादा है ।।
जज़्बातों का सैलाब है , इनसे नहीं संभलेगा
यहाँ नशा कम , शराब ज्यादा है ।।
गिलासों की गिनती , सराफत से करना
यहाँ जाम काम , हिसाब ज्यादा है ।।
नादान ना समझना, मूंछों के बालों को देखकर
उम्र कम , अनुभव ज्यादा है ।।
गुफ़्तगू फ़ुरसत से करना , जल रही है लौ परवाने
यहाँ वक्त कम , जलना ज्यादा है ।।
जाम के पैमाने तुम्हारे , झलक रहें है ऊपर से
इनमें शराब कम , पानी ज्यादा है ।।
नशे की महफ़िल है ,नशा तो होगा ही
आँखों में कम , जवानी में ज्यादा है ।।
हर किसी की आँखों में, ख़ामोश समंदर है
यहाँ नींद कम , ख़्वाब ज्यादा है ।।
जुगनू बन जल रहे हैं सब, अँधेरी राहों पर आगे बढ़ रहे सब
यहाँ चमक कम , रिस्क ज्यादा है ।।