“”जुनून ही तेरा तुझे– मंजिल अपनी पहुंचाएगा””
जुनून ही तेरा तुझे मंजिल अपनी दिलाएगा।
जमाने की तरफ मत देख ,वह तेरी खिल्ली उड़ाएगा।
लगा रह लक्ष्य पर अपने ,देखे हैं तूने जो सपने।
आज जो हंस रहा तुझ पर, कल वही तेरे गीत गाएगा।।
स्वभाव ही प्रकृति ने, मनुष्य को दिया है ऐसा।
अपनी प्रशंसा कराने के लिए ,टांग दूसरे की खींचता जाएगा।।
बन तू कर्म का प्रहरी ,सोच है तेरी बहुत गहरी।
चलित जमाने में कहीं तो, अपना मुकाम बनाएगा।।
न भटक न अटक चलता चल बे खटक।
यह जमाना तो अनुनय, फालतू की बातें फैलाएगा।।
अपनी धुन ऐसी बुन, न हो जिसमें कोई अवगुन।
सच्चा परिश्रम ही तुझे, मंजिल अपनी पहुंचाएगा।।