“”जुदाई कैसे सहे, पीर तो किससे कहें””
**”** विरह गीत**”**
घड़ी कौन सी थी वह बैरन
साजन रुठ के चले गए ।
बदरा छाए आया सावन,
नैना मेरे बरस गए।।
जुदाई कैसे सहे पीर तो किससे कहे।
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कलकल बहते झरने नदियां ,
आए ना मुझको निंदिया।
उमड़ रही है कारी घटाएं
चम चम चमके बिजुरिया।।
बिन साजन के सजनी अकेली कैसे रहे।
जुदाई कैसे सहे पीर तो किससे कहें।।
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कोई तो दे दो उन्हें खबरिया।
बस गए जाकर कोन सी नगरिया।।
आ जाओ अब छोड़ के गुस्सा।
जीवन मेरा आप का हिस्सा।।
साथ जिएंगे ,साथ मरेंगे ,जो चाहोगे वही करूंगी।
अनुनय मेरे जैसे ना किसी के नैन बहे।
साजन सजनी के संग रहे।।
जुदाई कैसे सहे ,पीर तो किससे कहे।।
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राजेश व्यास अनुनय