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1 Dec 2016 · 1 min read

जी लेना चाहती हूं

मै भी देखना चाहती हूं
एक अलसाई सी गुलाबी सुबह ..
रजाई मे खुद को भीचे ऑखें मीचे
महसूस करना चाहती हूं
कोहरे मे ढकी सूरज की गुलाबी लालिमा
बिस्तर पर अधलेटे हुए पीना चाहती हूं
सुकून की एक प्याली चाय
जीना चाहती हूं हर एक एहसास
जो वक्त की चादर मे सिलवट बन कही सिमट गए है ..
थक गई हूं चेहरे पे चेहरा लिए
छिपाते हुए ..दबाते हुए हर एक एहसास
छू लेना चाहती हूं आसमान को उसमे उगे चॉद को
सिमट जाना चाहती हूं चॉद की आगोश मे
जी लेना चाहती हूं हर लम्हा जो कहीं पीछे छूटगए वक्त की कोख मे
मै समझ रही थी तिनका तिनका
जोड़ कर नीड़ रज रही थी
हकीकत मे इच्छाओ का दमन कर रही थी
आज जी लेना चाहती हूं
अपने हर अधूरे ख्वाब .अपने हर भीगे जज्बात

Language: Hindi
382 Views
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