जीवन
जीवन सतत चलता है
यही कहते सुनते आ रही हूँ
पर ऐसा क्या हैं जीवन में
जो न चाहते हुए भी कोई
जीना चाहता है बड़े लुत्फ़ के साथ
कोई मौत को गले लगाते हैं
क्या जीवन दुखो से पूर्ण है
या फिर खुशियों भरा सा हैं
जीवन आखिर है क्या..?
क्यो कोई खोना चाहता है..?
क्यो कोई इसको पाना..?
क्या जीवन पर प्यार भारी नही
क्या जीवन सतत नही..?
आखिर जीवन चाहता क्या है
मेरी खुशियां सब की खुशियां
या फिर बस ढोना हैं अंतिम सांस तक
ओर ढोना हैं तो !ये दुख क्या..?
सुख की परिभाषा क्या..?
क्यो फिर बार बार लौट आना होता हैं
इसी जीवन चक्र में बार बार
शरीर में फिर से मैं को लेकर
आखिर क्या है जीवन..?
दुख है या सुख
स्थिर या चलायमान..?