जीवन 2
यह समय के साथ आती ही हैँ तो समय के साथ बदलती भी जाती हैँ | एक ही पल मे ऊचाई मे तो कभी क्षण भर मे धक्का मारके नीचे फेक देती हैँ |
यह परीक्षा आसान तो नहीं होती इसे आसान बनाना होता हैँ, कभी कुछ चीजों को नजर अंदाज भी करना होता है |
कुछ चीजों को छोड़कर निरंतर आगे बढ़ते जाना भी इसमें विजय के सामान हीं तो हैँ |
जिंदगी मे कई परेशानिया आती हैँ लेकिन यदि उस वक़्त कोई साथ खड़ा हो तो चलना आसान हो जाता हैँ |
इस यात्रा मे कई बाते तो ऐसी भी होती हैँ जिन्हे हम माँ-बाप या भाई-बहन से नहीं कह सकते लेकिन एक रिश्ता ऐसा भी हैँ जहाँ ऐसी कोई पाबंदी तो नहीं रहती, हम कोई भी बात अपने मित्रो से साझा कर सकते है इससे मन हल्का हो जाता है| और परिणाम यह होता है कि कोई ना कोई समाधान मिल हीं जाता हैँ |
ये दोस्ती का रिस्ता हीं अद्भुत होता हैँ,मेरे मन मे भी कई विचार उठते हैँ जो मुझे काँटों की तरह चुभते हैँ उन्हें निकालने का काम अक्सर मै कुछ खास दोस्तों पर छोड़ देता हूँ. समय के साथ जीवन की यात्रा हमें हर पल कुछ ना कुछ अवश्य याद दिलाती हैँ | नवयुवकों को उनका बचपन तो वही बुजुर्गो को पुरानी बांते याद दिलाती हैँ |
बचपन मे किसी चीज की चिंता नहीं रहती लेकिन समय के साथ जिम्मेदारीयों का अहसास होने लगता हैँ | तरह तरह की चिंताओं से मनुष्य घिरता चला जाता हैँ इस बोझ को कोई सहने मे सक्षम होता है तो कोई हसकर टाल देता हैँ |
जीने की कला हमें तो.. नदियों से भी सीखनी चाहिए वह कठिन से कठिन मार्ग पर चलती हैँ, कभी डरावने जंगलो से निकलती हैँ तो कभी बड़े बड़े पहाड़ो से निर्भीक होकर गिरती हैँ, क्या मजाल किसी चट्टान की जो उसके रास्ते मे आ जाये, वह तो उस चट्टान को भी काटकर निकलती हैँ, नदी हर एक परिस्थिति मे भी अपना मार्ग स्वयं बना लेती हैँ |
नदी से हमें जीवन की यात्रा मे भी ऐसे हीं आगे बढ़ने की प्रेरणा लेनी चाहिए |
जीवन की यात्रा मे यदि आप थक जाओ तो थोड़ा रुक कर आराम करलो पर याद रखना इसके बाद फिरसे चलते जाना हैँ रुकना नहीं हैँ / कभी थम सकते हो .. लेकिन फिरसे हिम्मत जुटाना और आगे बढ़ते जाना हैँ /
अगर दौड़ नहीं सकते तो चलो और चल नहीं सकते तो रेंगो लेकिन आगे बढ़ना कभी मत छोड़ो |
मानता हू जीवन मे कुछ गलतियाँ हो जाती हैँ उनसे उभरना मुश्किल जरूर होता हैँ पर नामुमकिन नही | जिंदगी हर एक इंसान को दुबारा मौका जरूर देती हैँ इसलिए हिम्मत मत हारना मेरे दोस्त |
इन गलतियों के लिए हमें स्वयं को माफ़ करना सीखना होगा ज़ब तक खुदको माफ़ नहीं करेंगे तब तक खुद के मन को स्वच्छ कैसे करेंगे?
आजके जीवन मे लोग शरीर पर ध्यान नहीं देते वे जानते है की स्वास्थ्य सबसे बड़ा धन हैँ यह जानकर भी अनजान बने बैठे है |
कुछ नियम बनाकर भी इस जीवन की यात्रा को सुविधाजनक बनाया जा सकता हैँ जैसे सुबह जल्दी उठकर मॉर्निंग वाक मे जाना, चिंतन करना, कुछ exercise करना, ये हमें तनाव से बचाये रखती हैँ और इसके साथ हीं हमें ऊर्जावान भी बनाती हैँ |
लोग पैसो के पीछे भागना उचित समझते हैँ उन्हें यह याद रखना होगा कि इन पैसो को जीवन यात्रा समाप्त होने पर साथ नहीं ले जाया जा सकता अगर कुछ साथ जाता है तो वह है केवल कर्म | इसलिए पैसो के स्थान पर अच्छे कर्म की पूंजी को एकत्रित करना चाहिए |
कहा भी गया हैँ कि “पैसा तो हाथो का मैल हैँ”
किसी चीज की अहमियत तो हमें उस चीज को खोकर ही पता चलती हैँ ठीक इसी प्रकार इन पैसो के चककर मे पड़कर हम अपने स्वास्थ्य को बहुत पीछे छोड़ जाते है और अंत मे इस बात का अहसास होता है | ज़ब होस आता है तब तक हम बहुत कुछ खो चुके रहते हैँ |
आज की युवा पीढ़ी भी जीवन को ठीक तरह से समझ नहीं पाती हैँ वो नशे के चपेट मे आकर अपना भविष्य बर्बाद कर लेती हैँ |
कुछ तो इसके आगे भी निकल जाते हैँ और जुए के लत मे सब गवा बैठते हैँ |
कुछ पिता भी इसी श्रेणी मे आते है मदिरापान और नशाखोरी से पहले अपने शरीर को फिर बाद मे जुए की लत से अपने धन का सर्वनाश कर देते है और अंत मे इसका खामियाजा तो उनके बच्चो को भुगतना पड़ता हैँ……
ऐसे कर्मो से बदनामी तो बहुत होती हैँ लेकिन इन चीजों मे लिप्त व्यक्ति तो अंधा हुये रहता हैँ उसे केवल स्वयं की इच्छा हीं श्रेष्ठ लगती हैँ उसे अपने बच्चो के भविष्य से कोई लेना देना नहीं रहता… उसके इस आदत से उसका परिवार सबसे अधिक दुखी रहता है | इससे नसेड़ी को कोई फर्क नहीं पड़ता वह तो अपने मे मस्त रहता हैँ…..
अब उसकी हरकत और भयावह होती जाती हैँ वह घरेलू हिंसा करने लगता हैँ आधी रात को मार पीट करता हैँ और घर से अपने पत्नी और बच्चों को बाहर निकाल देता है |
घर के सामान को बेचता हैँ घर के गहने से लेकर घर के बर्तन तक सब कुछ बिक जाते हैँ और हद तो तब और पार हो जाती हैँ ज़ब वह अपनी पत्नी के मंगल सूत्र को भी बेच देता हैँ / यह संघर्ष काफ़ी कठिन हैँ |स्वार्थ मे आकर व्यक्ति कर्ज लेता हैँ और जुए की अपनी आदत की पूर्ति करता हैँ नशा करता है और मदहोश रहता हैँ उसे अपनी हर हरकत सही लगती हैँ |
जीवन की यात्रा स्वार्थी व्यक्ति के परिवार के लिए कठिन होती जाती हैँ उसकी पत्नी और बच्चे हर पल कष्ट झेलते है….
उस भगवान से उनका यही प्रश्न रहता है कि हे प्रभु क्या पाप कर डाला हमने जो तूने मेरी हर एक ख़ुशी को छीन लिया हैँ… क्या कर्म किया हमने बता हमें जो ऐसा पति दिया….. क्या कर्म किया हमने जो ऐसा बाप दिया…..
ऐसे व्यक्ति समाज के लिए धब्बा होते है… उसके बच्चे हर एक ख़ुशी को तरसते रहते हैँ… इतने कष्ट मे उसकी पत्नी और बच्चे हर पल घुट घुटकर जीते है… कभी तो ख्याल आता है कि क्यू ना.. अंत कर दे… इस जीवन की यात्रा का… अब सहने की हिम्मत नहीं होती भगवान….. अब तू हीं राह दिखा मेरे प्रभु… स्थिति तो वक़्त के साथ बदतर होती चली जाती हैँ… हिम्मत जवाब देने लगते है…
अब बात और बढ़ने लगी… ज़ब वह प्रताणना के साथ उसके दहेज की मांग भी करने लगा…. वो बेचारी कुछ नहीं कहती थी बस सामना करती थी हिम्मत से….
रात मे वो व्यक्ति नशे मे धुत होकर आज फिर आया है उसने मार पीट शुरू कर दी… उसके बच्चे डरे सहमे से हैँ.. लेकिन आज उनमे हिम्मत आ गई थी…. लडके ने अपने बाप के कालर को पकड़ लिया दूसरे हाथ से अपने बाप के हाथो को पकड़ लिया.. और आज आवाज उठाई उसने…..बच्चे बड़े हो गए थे और हा ….
अब शायद उन बच्चो ने पहली बार ऐसी हिम्मत की थी… वो बच्चे गलत नहीं थे गलत तो निर्मित परिस्थिति थी…. हिम्मती बच्चो ने आज जीवन की यात्रा मे अपना एक अहम कदम रखा था………
वे बच्चे topper थे अपने स्कूल के,उनके स्कूल मे लोग उन्हें टॉपर के नाम से जानते थे लेकिन इनके संघर्ष को कोई नहीं जानता था…. उस दर्द को तो वो बच्चे हीं महसूस कर सकते थे ….शायद इसलिए वो पढ़ लिखकर कुछ बड़ा बनना चाहते थे कुछ मुकाम हासिल करना चाहते थे
इस प्रकार जीवन ने हर रोज परीक्षा लेकर उस परिवार को जीना सिखा दिया था, और उन्हें हिम्मत भी देदी थी.
इसलिए हमें कभी नीरास नहीं होना चाहिए क्या पता? कब हमें हमारे परिश्रम का परिणाम मिल जाये / जीवन तो उबड़ खाबड़ रास्ते के जैसे हैँ…. यह सड़क चाहे जैसा भी हो… हमें हमारी मंजिल तक जरूर ले जाता है.