“”जीवन में सबने खोया है””कुछ ज्यादा या कुछ थोड़ा””
सब कुछ बदला महामारी ने, अब भी पीछा ना छोड़ा।
धंधे बदले, शिक्षा बदली, पथ सब ने अपना मोड़ा।।
अरे खोज रही है दुनिया सारी , कब हम विजयश्री पाएंगे,
जीवन में सब ने खोया है, कुछ ज्यादा या कुछ थोड़ा।।
काम किसी ने अपना गवायां, नया अभी तक मिल नहीं पाया।
सोच में डूब के सोच रहा है, समय तूने यह क्या छोड़ा।।
शिक्षालय बन्द पड़े है , चिकित्सालय है भीड़ भरे ।
शिक्षक निजी संस्थानो के, इनको सबने कहां जोड़ा।।
बदलनी पड़ी परिपाटी हमको, त्योहार हमारे सुने रहे।
याद करें मार्च से अब तक, कहां-कहां आया रोड़ा।
अनुनय करता विनती ईश्वर से, कष्ट सभी के आप हरो।
खड़ा द्वार पर हाथ जोड़कर , शरण आया दौड़ा दौड़ा।।
*** राजेश व्यास अनुनय ***