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13 Jul 2017 · 1 min read

जीवन में आभा की ज्योत जगा दो ( ह्रदय की आभा)

जीवन में आभा की ज्योत जगा दो,
जीवन में थोडा कुछ कर दिखलादो,,
ह्रदय चाहे दर्द से ही भींच रहा हो,
उद्दगारो से ही ह्रदय सींच रहा हो,,
रिमझिम आँखे कुछ कह रही हों,
दर्द मंजिल मे आभा ढूंढ रही हों,,
जीवन मे आभा……………. 1

आशा सामंजस्य मे अस्तित्व कैसा ,
खुशियो की लहरों मे दर्द कैसा ,,
ह्रदय सागर की लहरे झलक रही,
उछलती सागर मे संदेश तलक रही,,
जीवन मे आभा…….. …….2

खुशियाँ आभा की बचकानी करते,
नये-नवेले ह्रदय उद्गार हरदम भरते,,
आभा कह रही से -सिला लिखाया ,
ह्रदय पराग लिए चारो ओर फैलाया,,
जीवन मे आभा…………….3

चमक-दमक लिये ह्रदय बहक उठा,
फनकार लिये ह्रदय आभा से रूठा,,
रण कहता आभा की ज्योत देदो,
तन का परिंदा हूँ जरा सा जिने दो,,
जीवन मे आभा की ज्योत जगा दो।….4

रणजीत सिंह “रणदेव” चारण
मुण्डकोशियां
7300174927

Language: Hindi
602 Views
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