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5 Jan 2017 · 1 min read

जीवन पथ ……..

दे हाथों में हाथ संग तेरे चलती ही चली गयी
जीवन पथ पर संग तेरे बढ़ती ही चली गयी ।
*
पत्थरों और कंटकों भरे हैं जीवन के ये रास्ते
साथ जो मिला इसे फूल कहती ही चली गयी।
*
नींद तो आयी नहीं इसलिए ख्वाब देखा नहीं
बर्षों से टकटकी लगाए जगती ही चली गयी।
*
इतना आसां नहीं होता समझना जीवन को
समझने की कोशिश तो करती ही चली गयी।
*
तकरार भी साथ- साथ चलते तो रहे “पूनम”
पर उसमें छिपे प्यार से महकती ही चली गयी |
@पूनम झा | कोटा ,राजस्थान

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