जीवन चक्र – सु – पंथ छोड़ कर जाना !!
धरती पर आना धीरे-धीरे बचपन का जाना।
खट्टी मीठी यादों के साथ, समय बिताना।
उम्र के साथ पड़ना लिखना,रोजगार तलाशना।
तात मात की चिंता,बेटे बेटी का घर बसाना।
रोजगार मिले न मिले,ग्रहस्त जीवन चलाना।
कभी रूठना,कभी मनाना ।
चलता जाए यारों ऐसे ही जमाना।।
कब बीत जाए जीवन ,देखते ही देखते ,
वृद्धावस्था पाना।
सिकवा शिकायतों में वक्त बिताना।
नहीं पता कब आ जाए बुलावा।
छोड़ संसार चले जाना,
कुछ दिनों का मातम छाना।
फिर से चल पड़ता जमाना।
अनुनय जीवन चक्र से यदि मुक्ति पाना।
सु – पंथ छोड़ कर जाना।।
राजेश व्यास अनुनय