*आ गया मौसम वसंती, फागुनी मधुमास है (गीत)*
सुरसरि-सा निर्मल बहे, कर ले मन में गेह।
सरेआम जब कभी मसअलों की बात आई
देख बहना ई कैसा हमार आदमी।
हसरतें हर रोज मरती रहीं,अपने ही गाँव में ,
डॉ अरूण कुमार शास्त्री - एक अबोध बालक 😚🤨
******* प्रेम और दोस्ती *******
"बन्दगी" हिंदी ग़ज़ल
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
*.....उन्मुक्त जीवन......
!!!! सबसे न्यारा पनियारा !!!!
इश्क़ का कुछ अलग ही फितूर था हम पर,
" एक बार फिर से तूं आजा "
सपना है आँखों में मगर नीद कही और है
बुंदेली दोहा- जंट (मजबूत)
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'