जीवन का हर मोड़ — कुछ न कुछ दे जाता है !
हर मोड़ सिखाता जीवन का।
कुछ न कुछ दे जाता है।
कभी सुख का सागर मिलता।
समय कभी दुख दे जाता है।।
बचपन जाता खेल खेल में।
खाना-पीना तक भूल जाता है।।
शिक्षा से जुड़ जाए जीवन।
पढ़ने में मजा तब आता है।।
धीरे-धीरे आती तरुणाई।।
दिल किसी का हो जाता है।।
योग्यताएं जब हो जाती पूरी।
हर कोई नौकरी चाहता है।।
मिल जाती सेवा किसी को तो।
कोई निजी कामों में लग जाता है।।
गृहस्थ जीवन में प्रवेश करो तुम।
मात-पिता के मन में आता है।।
विवाह रचाते घर बसाते।
जीवन आगे बढ़ता जाता है।।
कमाओ खाओ और खिलाओ।
जिम्मेदारियों का बोझ बढ़ जाता है।।
वक्त बीतता कितना जल्दी।
देखते ही देखते बुढ़ापा आ जाता है।।
जन्म से लेकर मृत्यु काल तक।
अनुनय जीवन कुछ न कुछ सिखाता है ।।
राजेश व्यास अनुनय