जीवन काल मेँ मोक्ष प्रॉति
जीवन काल मेँ मोक्ष प्रॉति ?
ना पीछे कोइ,
ना आगे कोइ,
ना बाएँ कोइ,
ना दायेँ कोइ,
ना ऊपर कोइ,
ना नीचे कोइ…
मैं ही हूं, बस मैं ही हूं, केवल मैं ही हूं,
मैं ही मैं, मैं ही मैं, मैं ही मैं
प्रज्ञाँम बह्मा, अह्म ब्रह्म अस्मि
तत त्वम असि, आयम आत्मा ब्रह्म ?
न जन्म का सुख
न मृत्यु का भय
न सपना रहा
न अभिलाषा रहीं
न सुख का प्रसन्नता
न दुःख का उत्पीड़न
इच्छाएं निराकार हो गई
फल आकांगक्षाएँ निराधार हो गई
लोभ, क्रोध, लालसा,
दुःख, विलाप, अहं
धर्म एवं कर्तव्य की कसौटी पर
चिता को समर्पण हो गई,
ॐ शांति, ॐ शांति, ॐ शांति
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दिनांक 12 दिसंबर 2019 सांय 15:33
गाज़ियाबाद.