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11 Jun 2019 · 2 min read

***जीवनदान **

।।ॐ श्री परमात्मने नमः ।।
*** जीवनदान ***
घर आँगन की महकती फुलवारियों में बेटी व बेटा का होना जरूरी है इनके बिना जीवन नीरस उदासीनता के घेरे में जकड़े रहता है अकेले जीवन व्यतीत करना बहुत ही मुश्किल होता है।

जीवन में कभी कभी ऐसा मोड़ आ जाता है जब कुछ समझ नही आता है कि क्या करें …?
अचानक आँखों के सामने ऐसा घटित हो जाता है कि दिमाग काम ही नही करता है कोई रास्ता भी नही सूझता है ……? ? ? लेकिन परिवार में हर सदस्य एकजुट होकर आपसी सहमति, सहयोग ,तालमेल बैठाने से समस्या का निदान आसानी से हल हो जाता है।
ऐसी स्थिति का अनुभव है एक आदर्श परिवार में तीन बेटियाँ व एक बेटा है चारों बच्चे पढ़े लिखे प्रोफेशन सम्मानीय पदों में कार्यरत हैं ।
बड़ी बेटी श्वेता आर्युवेदिक डॉक्टर ,मंझली बेटी श्रेया भी आर्युवेदिक डॉक्टर के पद में छोटी बेटी शिखा प्राइवेट कंपनी की निर्देशक और बेटा सिविल इंजीनियर पद पर कार्यरत है ।
माँ का स्वास्थ्य भी ठीक न होने के कारण अधिकतर समय पिता जी ने सेवा करते हुए बिताया अतंतः माँ चल बसी और माँ के चले जाने के बाद पिताजी भी अस्वस्थ रहने लगे एक दिन अचानक बेहोश होकर गिर पड़े ,अस्पताल में भर्ती कराया गया बेहोशी की हालत में कुछ समय के लिए कोमा में चले गए उन्हें वेंटीलेटर पर रखा गया ।
जीवन और मृत्यु के बीच संघर्ष कर रहे थे वेंटिलेटर हटाने पर साँसे सामान्य रूप से चलेगी कि नही ये डॉक्टरों को समझ में नही आ रहा था ।
तीनों बेटियाँ अपने घर के कामकाज ,व्यवसायों
बच्चों की ज़िम्मेदारी को निभाते हुए पिताजी की देखभाल कर रही थी अब उन्हें यह तय करना था कि वेंटिलेटर हटाने के बाद में शरीर में क्या असर पड़ता है।
तीनों बेटियाँ एक दूसरे का सहयोग करते हुए अपना फर्ज अदा कर रहे थे वैसे वेंटिलेटर हटाने के बाद पिताजी होश में आ गए थे लेकिन थोड़ी सी साँस लेने में दिक्कत हो रही थी।
फिर से उन्हें ऑक्सीजन देते हुए स्थिति सामान्य हो गई थी तीनों बेटियों की तपस्या रंग लाई थी और वे महीने भर में सामान्य रूप से स्वस्थ हो गए उन्हें नया जीवनदान मिल गया
अन्न दान ,वस्त्रदान से बढ़कर जीवनदान होता है और तीनों बेटियों ने एकजुट होकर पिताजी को नया जीवनदान दे दिया ।
बेटियाँ अपने घर को ही नही दो कुलों को तार देती हैं
प्यारी सी बेटियाँ ने आदर्श पिताजी के विराट संस्कारों को नई पीढ़ियों के लिए अपनी अलग पहचान बनाकर गौरान्वित किया है अपने पिताजी को जीवनदान देकर समाज में एक अनूठी मिसाल कायम की है।
स्वरचित मौलिक रचना ??
*** शशिकला व्यास ***
#* भोपाल मध्यप्रदेश *#

Language: Hindi
277 Views
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