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30 Oct 2017 · 2 min read

जीरो फीगर

जीरो फीगर…..
…………………….
रानी तुने यह कैसे किया, तेरी फिटनेस तो गजब ढा रही है कमाल का फीगर बनाया है तुने हमें भी तो बता ऐसी फीगर कैसे बनाये और फिर मेंटेन कैसे करें?
मधु एक खाते पीते घराने की चार भाईयों के मध्य एकलौती बहन थी सब बड़े हीं नाजो से रखते उसे….भाई जो कुछ खाते पहले उसे खिलाते, कहीं भी जाते उसके पसंद का कुछ न कुछ लेकर अवश्य ही आते,सबका प्यारा और खाता पीता परिवार मधु का सेहत इस बात का तस्दीक करता था,…..ईश्वर ने भी जैसे बड़े हीं फुरसत से बनाया था मधु को सत प्रतिशत दाग रहित थी।……….
रानी मधु की क्लासमेट व अति प्रिय सहेल थी साधारण परिवार से ताल्लुक रखने वाली रानी घर में अभाव से उत्पन्न समस्याओं की शीकार थी घरेलू अभाव उसके सेहत को जैसे निगलने लगा था और यही उसके जीरो फीगर का द्योतक था किन्तु मधु को उसके परिवारिक परिस्थितियों का का लेशमात्र भी भान नहीं था …..उसे तो यहीं लगता की रानी ने अपना ये जीरो फीगर किसी विशेष तरकीब से बनाया है……
…..अतः मधु उससे प्रति दिन जब भी मिलती बश उसके जीरो फीगर के समब्द्ध ही बात करती और तरकीब पूछती ……रानी प्रति दिन के इस सवाल से तंग आ गई थी किन्तु अपने घरेलू अभावों को वो भला सबके समक्ष कैसे प्रदर्शित करे अतः बोल दिया इस तर का फीगर चाहिए तो डाईटिंग करना पड़ेगा कम से कम एक हप्ते में तीन या चार दिन उपवास जरूरी है अगर ऐसा छः माह तक निरंतर कर लिया तो जीरो फीगर पक्का । पहले इतना करो फिर बताऊंगी मेंटेनेंस का तरीका।
आज मधु बहुत खुश थी आज उसे अपने सपने पुरे करने का तरकीब जो मिल गया था….. ………………कालेज समाप्त कर मधु घर पहुंची और मां को साफ शब्दों में समझाया मुझे कल और परसों कोई कुछ भी खाने पीने की वस्तु न दे मेरा दो दिनों का व्रत है …..माँ ने समझाया….बेटी अभी तेरे खाने पीने के दिन हैं अभी से व्रत उपवास की क्या आवश्यकता…… किन्तु मधु कहा मानने वाली थी उसके सर पे तो जैसे जूनून सवार था ‘जीरो फीगर’ का
डाईटिंग का यह सिलसिला चल पड़ा हफ्ते, महीने करते – करते पूरे पांच महीने बीत गये ….मधु का सेहत गीरता चला गया खिला खिला सा चौधवी के चाँद सा दिखने वाला चेहरा मलीन होता चला गया , चेहरा धस गया, आंखें अंदर चली गई जैसे इंसान नहीं कोई नरकंकाल हो….
माँ,बाप चारो भाई सबके सब परेशान हो गए, कोई समझ नहीं पा रहा था कि मधु के सर पे ये कैसा धुन सवार है,….. समझा – समझा कर सब थक गये किन्तु मधु के जीद्द के आगे किसी की ना चली मधु नहीं मानी।
पाचवां महीना बीतते – बीतते मधु बीमार पड़ गई आज वो मरणासन्न शैय्या पर पड़ी है……
…….किन्तु फिर भी उसे इस बात की अत्यधिक खुशी थी कि उसने अपना फीगर जीरो कर ही लिया…..
पं.संजीव शुक्ल “सचिन”

Language: Hindi
1 Like · 551 Views
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