“”जीने दो उन्हें अपने रंग में””
प्यार के दौर से लौटने वाले ,आज प्यार को रोक रहे ।
दीवानों को यहां वहां सब, हर कोई क्यों टोंक रहे ।
जीने दो उन्हेंअपने रंग में ,भंग काहे को डाल रहे।
याद करो बिता कल अपना, क्या तुम इसमें नहीं खोए थे।
प्रकृति का वरदान प्यार है , रहे तुम भी तो खोए खोए थे।
आजआपके अपने कारण , दीवाने क्यों बेहाल रहे।
जीने दो उन्हेंअपने रंग में, भंग काहे को डाल रहे।।
प्यार के पंछी को कब तक, तुम नजरो में यो केद करोगे।
हो जाएंगे आंख से ओझल,पलके जब तुम बन्द करोगे।
उड़ लेने दो उन्हें उन्मुक्त गगन में, लोट डाली पर आएंगे।
मिल कर दोनोअपना खुद का, घोंसला सुंदर बनाएंगे।
आज नहीं तो कल फिर, हम ही तो उनको अपनाएंगे।
अनुनय प्यार ,प्यार से जीवन, हर युगल यहां खुशहाल रहे।
जीने दो उन्हें अपने रंग में, भंग काहे को डाल रहे हैं।।
राजेश व्यास अनुनय