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18 Apr 2018 · 1 min read

जीने को ये जहान चाहिए…

जीने को ये जहान चाहिए
उड़ने को आसमान चाहिए

रात में चाहूँ चाँद तो क्या
दिन में तो दिनमान चाहिए

जीवन जीवट संग जीने को
सुलगता एक अरमान चाहिए

जो कुछ तुम्हें दिया है मैंने
उसका मुझे प्रतिदान चाहिए

रुचे नहीं अपमान तुम्हें तो
मुझे भी मेरा सम्मान चाहिए

समझे नहीं जो दर्द हमारा
ऐसा भी नहीं नादान चाहिए

तुममें भी हमें हमारे जैसा
त्याग और बलिदान चाहिए

कब तक यूँ पददलित रहेंगे
हमें भी अब उत्थान चाहिए

निज हक की दरकार मुझे
नहीं कोई अहसान चाहिए

हमें भी सारा ऐशो आराम
आन-बान और शान चाहिए

समरसता जहाँ बरसती हो
ऐसा नवल विहान चाहिए

समता का अधिकार मिले
न मिथ्या स्तुति गान चाहिए

जिस मान की चाह तुम्हें है
मुझे भी वही श्रीमान चाहिए

– डॉ.सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद (उ.प्र.)

1 Like · 283 Views
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