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5 Jun 2021 · 1 min read

जीना चाहता हूँ

जीना चाहता हूं
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जुल्फ के साए में तुम्हारे जीना चाहता हूं
इश्क करता हूं बस तुम्हें जताना चाहता हूं,
अब तलक जो भी बसर की है जिंदगी मैंने
उस जिंदगी को मैं अब भुलाना चाहता हूं।

इश्क का आगाज क्या और अंजाम है क्या
बड़ी शिद्दत से जहां को बताना चाहता हूं,
जिंदगानी बीत जाए बस तुम्हारे साथ प्रिये
जतन कुछ इस तरह का करना चाहता हूं।

राह में तुमको भी मिले होंगे नगमे हज़ार
जिक्र उनका नहीं यहां मैं करना चाहता हूं,
मेरी माला का प्रिय तुम वो खास मोती हो
यही नगमा तो ताउम्र अब गाना चाहता हूं।

बज रहीं है दिल में मेरे प्यार की शहनाइयां
इनकी मीठी तानों को ही सुनना चाहता हूं,
रंग भरने के लिए मेरी जिंदगी में आजा प्रिये
अपनी पलकों पे तुम्हें झुलाना चाहता हूं।

मेरी हमदम मेरी जिंदगी ही संवार दी तुमने
जिक्र इसका मैं सरेआम करना चाहता हूं,
राह ए उल्फत मिल गई है अब तुम्हारे साथ
इस तरह ही बसर जिंदगी करना चाहता हूं।

खूबसूरत सी डगर है इश्क की हमदम मेरे
तुम्हारे साथ ता उम्र अब चलना चाहता हूं,
मिल गई हो तुम तो जैसे मिल गई जिंदगी मुझे
इसे अब बस तुम्हारे संग जीना चाहता हूं।

संजय श्रीवास्तव
बालाघाट (मध्यप्रदेश)
१९.०६.२०२०

2 Comments · 231 Views
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