Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
1 Sep 2016 · 1 min read

जीत

इक लंबा अरसा बीत गया,
यादों का बादल रीत गया,
बाजी थी उनको पाने की,
रेखा रक़ीब ही जीत गया।

Language: Hindi
561 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
योग
योग
डॉ०छोटेलाल सिंह 'मनमीत'
ये कमाल हिन्दोस्ताँ का है
ये कमाल हिन्दोस्ताँ का है
अरशद रसूल बदायूंनी
एकतरफा सारे दुश्मन माफ किये जाऐं
एकतरफा सारे दुश्मन माफ किये जाऐं
Maroof aalam
To be Invincible,
To be Invincible,
Dhriti Mishra
मास्टरजी ज्ञानों का दाता
मास्टरजी ज्ञानों का दाता
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
💐अज्ञात के प्रति-96💐
💐अज्ञात के प्रति-96💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
"सबक"
Dr. Kishan tandon kranti
Dear me
Dear me
पूर्वार्थ
जब कोई साथ नहीं जाएगा
जब कोई साथ नहीं जाएगा
KAJAL NAGAR
अर्थी पे मेरे तिरंगा कफ़न हो
अर्थी पे मेरे तिरंगा कफ़न हो
Er.Navaneet R Shandily
संस्कारों के बीज
संस्कारों के बीज
Dr. Pradeep Kumar Sharma
बदन खुशबुओं से महकाना छोड़ दे
बदन खुशबुओं से महकाना छोड़ दे
कवि दीपक बवेजा
शिशिर ऋतु-१
शिशिर ऋतु-१
Vishnu Prasad 'panchotiya'
इंतजार करो
इंतजार करो
Buddha Prakash
23/92.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/92.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
अरब खरब धन जोड़िये
अरब खरब धन जोड़िये
शेखर सिंह
#मुबारकां_जी_मुबारकां
#मुबारकां_जी_मुबारकां
*Author प्रणय प्रभात*
*जब नशा साँसों में घुलता, मस्त मादक चाल है (मुक्तक)*
*जब नशा साँसों में घुलता, मस्त मादक चाल है (मुक्तक)*
Ravi Prakash
दुआ नहीं होना
दुआ नहीं होना
Dr fauzia Naseem shad
ना होगी खता ऐसी फिर
ना होगी खता ऐसी फिर
gurudeenverma198
जिंदगी रूठ गयी
जिंदगी रूठ गयी
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
जलने वालों का कुछ हो नहीं सकता,
जलने वालों का कुछ हो नहीं सकता,
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
मरने वालों का तो करते है सब ही खयाल
मरने वालों का तो करते है सब ही खयाल
shabina. Naaz
मिलन फूलों का फूलों से हुआ है_
मिलन फूलों का फूलों से हुआ है_
Rajesh vyas
Khuch rishte kbhi bhulaya nhi karte ,
Khuch rishte kbhi bhulaya nhi karte ,
Sakshi Tripathi
पहले मैं इतना कमजोर था, कि ठीक से खड़ा भी नहीं हो पाता था।
पहले मैं इतना कमजोर था, कि ठीक से खड़ा भी नहीं हो पाता था।
SPK Sachin Lodhi
मेरी हर लूट में वो तलबगार था,
मेरी हर लूट में वो तलबगार था,
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
सोच समझकर कीजिए,
सोच समझकर कीजिए,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
अकेले चलने की तो ठानी थी
अकेले चलने की तो ठानी थी
Dr.Kumari Sandhya
दोहा
दोहा
दुष्यन्त 'बाबा'
Loading...