जीजा समाज का पहला आतंकी
जीजा समाज का पहला आतंकी
सास ससुर को देता चुनोती
समझे सब अपनी बापौती
ससुराल में आता जैसे सामंती ।
बात बात पर गाली देता
साला-साली को गुलाम समझता
साले रिस्ते को बना दीया गाली
पैर के जुते के नीचे रखता ।
अवैध अधिकारों का स्वामी
ससुराल में करता अपनी मनमानी
पितृसत्ता की बड़ी निसानी
ससुराल में धमकाता जैसे तालिबानी ।
आँख लाल कर तैवर देता
मायके बालों को गाली देता
पैठ पलंग पर हुकुम मारता
जैसे हो तारकासुर अभिमानी ।
मांग ना हो पूरी तो
बेटी-बहन को छोड़ने की
देता धमकी ।
ससुराल को जीजा समझे
अली बाबा की तिजोरी
सीना तान करता फ़िरौती
जीजा समाज का पहला आतंकी ।
चौड़ा करता ऐसे सीना
ऐंठ मारता जैसे चीता
साला साला गाली देता
ससुराल में बैठा मुँह फुलाता ।