Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
4 Dec 2018 · 1 min read

जिम्मेदारी की चादर

मैं हूँ अध्यापक
बच्चों को
इतिहास-भूगोल
राजनीति-शास्त्र
पढ़ाता हूँ
अनेक बार अध्यापन में
देश को
कृषि प्रधान बताता हूँ
उन्हीं छात्रों को
छुट्टी के बाद
दुकानों पर
बाल श्रमिक पाता हूँ
हालात पाठ्य-पुस्तकों को
गलत साबित करते हैं
कितने नोनिहाल
भीख मांग कर
पेट भरते हैं
अक्सर ये बच्चे
वक्त से पहले ही
बड़े हो जाते हैं
जिम्मेदारी की चादर ओढ़
बचपन की चारपाई से
खड़े हो जाते हैं

-विनोद सिल्ला©

Language: Hindi
2 Likes · 284 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
काँटों के बग़ैर
काँटों के बग़ैर
Vishal babu (vishu)
किन मुश्किलों से गुजरे और गुजर रहे हैं अबतक,
किन मुश्किलों से गुजरे और गुजर रहे हैं अबतक,
सिद्धार्थ गोरखपुरी
एक फूल
एक फूल
Anil "Aadarsh"
चाय-दोस्ती - कविता
चाय-दोस्ती - कविता
Kanchan Khanna
अनगढ आवारा पत्थर
अनगढ आवारा पत्थर
Mr. Rajesh Lathwal Chirana
पागल मन कहां सुख पाय ?
पागल मन कहां सुख पाय ?
goutam shaw
تہذیب بھلا بیٹھے
تہذیب بھلا بیٹھے
Ahtesham Ahmad
याचना
याचना
Suryakant Dwivedi
📍बस यूँ ही📍
📍बस यूँ ही📍
Dr Manju Saini
चलो चलें दूर गगन की ओर
चलो चलें दूर गगन की ओर
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
2527.पूर्णिका
2527.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
विश्व रंगमंच दिवस पर....
विश्व रंगमंच दिवस पर....
डॉ.सीमा अग्रवाल
इश्क़ का दस्तूर
इश्क़ का दस्तूर
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
डर-डर से जिंदगी यूं ही खत्म हो जाएगी एक दिन,
डर-डर से जिंदगी यूं ही खत्म हो जाएगी एक दिन,
manjula chauhan
ताश के महल अब हम बनाते नहीं
ताश के महल अब हम बनाते नहीं
Er. Sanjay Shrivastava
*यहाँ जो दिख रहा है वह, सभी श्रंगार दो दिन का (मुक्तक)*
*यहाँ जो दिख रहा है वह, सभी श्रंगार दो दिन का (मुक्तक)*
Ravi Prakash
यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते
यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते
Prakash Chandra
माता सति की विवशता
माता सति की विवशता
SHAILESH MOHAN
फितरत अमिट जन एक गहना
फितरत अमिट जन एक गहना
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
समझ
समझ
Dinesh Kumar Gangwar
हर दिन के सूर्योदय में
हर दिन के सूर्योदय में
Sangeeta Beniwal
💐अज्ञात के प्रति-136💐
💐अज्ञात के प्रति-136💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
#ग़ज़ल
#ग़ज़ल
*Author प्रणय प्रभात*
पंचशील गीत
पंचशील गीत
Buddha Prakash
"बेदर्द जमाने में"
Dr. Kishan tandon kranti
सादगी
सादगी
राजेंद्र तिवारी
आत्म अवलोकन कविता
आत्म अवलोकन कविता
कार्तिक नितिन शर्मा
आलाप
आलाप
Punam Pande
विद्रोही प्रेम
विद्रोही प्रेम
Rashmi Ranjan
चमकते चेहरों की मुस्कान में....,
चमकते चेहरों की मुस्कान में....,
कवि दीपक बवेजा
Loading...