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1 Jan 2020 · 1 min read

जिन्हें हमने सबसे करीब माना था

दूर वो ही हुए जिन्हें हमने सबसे करीब माना था
कसूर उनका नहीं मेरा ही हैं जो हबीब माना था

ख़ैर आना जाना तो लगा रहेगा हर एक दौर में
रुलाया वही हैं हर बार जिसे मैं नसीब माना था

इरादतन शौक़ पाला हर एक शय खरीदने को
ख़रीदार वही निकला जिसे हमने ग़रीब माना था

अल्फाज़ क्या लिखे हर हर्फ़ बिका हुआ हैं यहाँ
बिकने को वो हैं तैयार जिसको अदीब माना था

दुनिया में हर मर्ज़ की दवा हैं ऐसा लोग कहते हैं
यहाँ इश्क में वो हैं बीमार जिसे तबीब माना था

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