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1 Jul 2016 · 1 min read

!~जिन्दा लाश~!

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!~जिन्दा लाश~!
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“मरी आदमियत संग –

लाशें
जिन्दा हैं!

स्वार्थ
जिन्दा है!

ज़ज्बात
शर्मिंदा है!!”___दुर्गेश वर्मा

Language: Hindi
423 Views
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