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6 Feb 2019 · 1 min read

जिन्दगी की डोर

जब तलक
जुड़ी हैं
जिन्दगी , सांस से
उड़ती है पतंग
आसमां में

अनजान जगह
अनजानों के बीच
उड़ती है पतंग
बैरानी सी आसमां में

देखती आसमां से
पतंग
दुनियां की बेवफाईयाँ
सब तरफ है
लूट खसोट और
हैवानियाँ

अपनी ऊँचाईयों पर
इतना मत इतरा
ऐ इन्सान
जब तलक
जुड़ी है डोर
उड़ती रहेगी
ये पतंग

न जाने कब
कट जाऐगी
जिन्दगी की ये डोर
गुजारेगी
गुमनाम सी
जिन्दगी
ये पतंग

स्वलिखित लेखक संतोष श्रीवास्तव
भोपाल

Language: Hindi
349 Views
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