— जिद्द —
जिद चाहिए जीतने के लिए
हारने के लिए तो डर ही काफी है
इरादा हो अगर पक्का तो
हर मंजिल अपनी मुट्ठी में है
कोशिश करते रहो
कई बार नाकामी मिलेगी
नही करोगे कोशिश तो
कहाँ से फिर मंजिल मिलेगी
रोकेगी दुनिया हर कदम पर
पर कभी मायूस न होना
साथ देने वाले चेहरे भी
दुश्मन हुआ करते हैं यह सोचना
अपना मुकद्दर नही कोई ले सकता
जो लिखा विधाता ने लकीरों में
चाहे कितना दुशमन बने जमाना
मिल के रहेगा जो है तकदीरों में
अजीत कुमार तलवार
मेरठ