जिंदगी/ जीवन
जिंदगी/ जीवन
जिंदगी हर पल की है सुहानी,
जिंदगी में सबकी हो मोहब्बत की कहानी,
नही मिलता नाराज़गी से कुछ साथियों,
जीवन को बना लो मौज मस्ती की रवानी।।।।।
अटकलें तो आती जाती रहेंगी जिंदगानी में,
इसको न गवाओ रो धोकर अश्क़ के पानी मे,
हर इंशा मशगूल है खुद की ही जवानी में,
सब जी रहे है खुशियों के पल मस्तानी में।।।।
गैरो को ऊँचा उठा देख मत रह हैरानी में,
मत गिरा अपने स्तर को दुसरों की टांग खींचातानी में,
आयेगी तेरी भी एक दिन बुलंदियों को छू लेने की रुत,
मन को लगा जरा खुद के अच्छे रिश्ते ख़ानदानी में।
खुद को दुनियां से बहेतर जानी में,
कभी न कि किसी चीज में मनमानी मैं,
बूढो को सहारा बच्चों को स्नेह देती इतनी
हो गयी कब सयानी में,
घर की चार दिवारी की सदा लाज को बचाने
की मन मे ठानी मैं
नही उलझनों में उलझकर दुःखियों का मख़ौला उड़ा खुद को नही जग हँसानी में।।।।
रचनाकार
गायत्री
सोनू जैन✍✍✍✍✍