Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
21 Dec 2017 · 1 min read

जाड़े की धूप

जाड़े की धूप
जाड़े की धूप का आश्वासन और गर्मजोशी ,किसको नहीं भाती।
किन्तु शर्माती है ,जाड़े की धूप ,और जल्दी चली जाती है.छोड़ कर ठिठुरन।
उद्दंड हुए बादल , सौम्य हुए सूरज को घेरकर बार बार ढक देते हैं। कभी कई कई दिन उसे कैद में रख लेते हैं। मौसम कंपकपाता है और सोचता है,’सूरज का इतना नम्र होना भी शायद ठीक नहीं।
– र र

Language: Hindi
Tag: लेख
224 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Ravi Ranjan Goswami
View all
You may also like:
*कांच से अल्फाज़* पर समीक्षा *श्रीधर* जी द्वारा समीक्षा
*कांच से अल्फाज़* पर समीक्षा *श्रीधर* जी द्वारा समीक्षा
Surinder blackpen
जला रहा हूँ ख़ुद को
जला रहा हूँ ख़ुद को
Akash Yadav
माता शबरी
माता शबरी
SHAILESH MOHAN
ग़ज़ल- तू फितरत ए शैतां से कुछ जुदा तो नहीं है- डॉ तबस्सुम जहां
ग़ज़ल- तू फितरत ए शैतां से कुछ जुदा तो नहीं है- डॉ तबस्सुम जहां
Dr Tabassum Jahan
आज़ादी की जंग में कूदी नारीशक्ति
आज़ादी की जंग में कूदी नारीशक्ति
कवि रमेशराज
'तिमिर पर ज्योति'🪔🪔
'तिमिर पर ज्योति'🪔🪔
पंकज कुमार कर्ण
🙏🙏सुप्रभात जय माता दी 🙏🙏
🙏🙏सुप्रभात जय माता दी 🙏🙏
Er.Navaneet R Shandily
यक्ष प्रश्न
यक्ष प्रश्न
Manu Vashistha
*सूनी माँग* पार्ट-1
*सूनी माँग* पार्ट-1
Radhakishan R. Mundhra
* चांद के उस पार *
* चांद के उस पार *
surenderpal vaidya
हम लड़के हैं जनाब...
हम लड़के हैं जनाब...
पूर्वार्थ
"असर"
Dr. Kishan tandon kranti
सुखों से दूर ही रहते, दुखों के मीत हैं आँसू।
सुखों से दूर ही रहते, दुखों के मीत हैं आँसू।
डॉ.सीमा अग्रवाल
भला दिखता मनुष्य
भला दिखता मनुष्य
Dr MusafiR BaithA
गौरैया
गौरैया
Dr.Pratibha Prakash
नींद में गहरी सोए हैं
नींद में गहरी सोए हैं
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
जब मित्र बने हो यहाँ तो सब लोगों से खुलके जुड़ना सीख लो
जब मित्र बने हो यहाँ तो सब लोगों से खुलके जुड़ना सीख लो
DrLakshman Jha Parimal
-मंहगे हुए टमाटर जी
-मंहगे हुए टमाटर जी
Seema gupta,Alwar
शेर
शेर
Monika Verma
राजा जनक के समाजवाद।
राजा जनक के समाजवाद।
Acharya Rama Nand Mandal
शांति वन से बापू बोले, होकर आहत हे राम रे
शांति वन से बापू बोले, होकर आहत हे राम रे
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
परवरिश
परवरिश
Dr. Pradeep Kumar Sharma
नवगीत
नवगीत
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
वापस लौट आते हैं मेरे कदम
वापस लौट आते हैं मेरे कदम
gurudeenverma198
खतरनाक बाहर से ज्यादा भीतर के गद्दार हैं (गीत)
खतरनाक बाहर से ज्यादा भीतर के गद्दार हैं (गीत)
Ravi Prakash
मुक्तक
मुक्तक
प्रीतम श्रावस्तवी
3282.*पूर्णिका*
3282.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
ठहर गया
ठहर गया
sushil sarna
आज हमारा इंडिया
आज हमारा इंडिया
*Author प्रणय प्रभात*
शेखर सिंह
शेखर सिंह
शेखर सिंह
Loading...