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23 Oct 2021 · 1 min read

जाम पीना आ गया

**जाम पीना आ गया (ग़ज़ल) **
**************************

सर्द रात में भी पसीना आ गया।
बड़े रंज में जाम पीना आ गया।

जहाँ मौज भरती सदा से हाज़िरी,
सप्त रंग वाला महीना आ गया।

कद्रदान भी चाकरी करते रहे,
मक्के पास वाला मदीना आ गया।

दर्जनों मुसीबत सहन की है यहाँ,
चमकदार शाही नगीना आ गया।

शर्मशार हो यार मनसीरत चला,
असरदार मुझको करीना आ गया।
***************************
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)

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