जाने क्यों
जाने क्यों दिल से दूर हो गये तुम।
हमसे दूर जाने कहाँ खो गये तुम।
जब जरूरत थी तुम्हारे जागने की,
आँखे मूँद गहरी नींद सो गये तुम।
एक पल की जुदाई नहीं सही जाती,
फिर तन्हा हमें छोड़ क्यों गये तुम।
दिल में प्यार तुम्हारे भी है हमारे भी,
बीज नफरतों के क्यों बो गये तुम।
दीप”इंतज़ार में जल रही अब तलक,
लौट कभी न आये,चले जो गये तुम।
दीप्ति शर्मा
जटनी ( उड़ीसा )