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3 Mar 2018 · 1 min read

*जाता है जी*

जाता है जी

सोच सोच कर मेरा तो माथा फट जाता है जी,,
रात नही कटती मेरी दिन तो कट जाता है जी,,

दो भाई बहिन एक आंगन मैं खेले बचपन भर तक,,
जवा होते होते शादी बाद कैसे दर बट जाता है जी,,

बेटी प्यारी कुवारी तबतक रहती बाबूल घर मैं,,
गई ससुराल नही कोई ख्याल प्यार घट जाता है जी,,

जिनके हाथ साथ होने थे वो गये दूर बड़ी दूर,,
सब कुछ है पर फिर भी कुछ न सट जाता है जी,,

नदी किनारे जैसे के तैसे जल रवानी बनी रहत है,,
कभी नही अपनी हद से हदतक तट जाता है जी,,

आज भरी आँखों से लिख्खा दर्द ये मनका मैंने,,
फिर दुनियां पूछती मनु कैसे लिख जाता है जी,,
?मानक लाल मनु?

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