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30 May 2020 · 1 min read

जाग जाग हे– – –

जाग जाग हे परशुराम,
छोड़ो अब चिर ध्यान ।
बिन तेरे त्रासद है जनता,
पिंजर बंध पड़ा निर्बोध विहंगा,
तरप रहा जल रहित भांति मीन,
क्रंदन, विवश, निरार्थ निर्स्वामी दीन,
निज सम्मुख, निज का हो रहा अंत,
होगा किस भूर-भूवर से अवतरित संत,
मनुज!तुही बन जा आज राम,
जाग जाग हे परशुराम,
छोड़ो अब चिर ध्यान ।

तपस्वी जान समझ रहा दीन भिखारी,
दूर्वा जान पद-प्रहार किया अति भारी,
दूर्वा, दुर्बल सबल है कितना आज,
दिखा अपना रुप विक्राल संत समाज,
समस्त ब्रह्मांड मुख में धारण की क्षमता,
बस वसुधैव कुटुम्बकम् भाव की है ममता,
है मनसा दैत्य का अब भी वाम,
जाग जाग हे परशुराम,
छोड़ो अब चिर ध्यान ।

हुआ बहुत दिन जपन को माला,
उत्तेजित हो उठा हर पौरुष भाला,
रक्त चुस रहा उन्मादित जोंक,
उठा शस्त्र सत्यफिर वक्ष में भोंक,
खोल दिशा दक्षिण का द्वार,
ध्वस्त करो तु सघन विकार,
हे सुवीर मचा भू पर तु संग्राम,
जाग जाग हे परशुराम,
छोड़ो अब चिर ध्यान ।
उमा झा

Language: Hindi
13 Likes · 4 Comments · 285 Views
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