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11 Sep 2021 · 1 min read

जागो अब तो लालन जागो

उठ जाओ तुम कुछ तो बोलो
भोर भई अब नैना खोलो

जाग गए अब खग मृग सारे
सूरज से हारे अंधियारे

कण कण देखो महक उठा है
सारा आलम चहक उठा है

फूल बनी सब कलियाँ देखो
भँवरों की रँग रलियाँ देखो

ठण्डी ठण्डी पवन सुहानी
झूम रही होकर मस्तानी

हाथ पकड़ तुम नाचो गाओ
उछलो कूदो मौज उड़ाओ

राह नई चुन कदम बढ़ाओ
छू अम्बर को नाम कमाओ

बहुत हुआ अब आलस त्यागो
जागो अब तो लालन जागो

© डॉ० प्रतिभा ‘माही’

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