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30 Nov 2020 · 1 min read

ज़ुल्म का शिकार बना देगी

ज़ालिमों के ज़ुल्म का शिकार बना देगी
इतनी खामोशी तुम्हे गुनाहगार बना देगी

कितना भी उकसाएं तुम इत्तेहाद न तोड़ना
ये सियासत हमारे बीच में दीवार बना देगी

अपने हक़ के लिए लड़ने से पीछे न हटना
वरना यह दुनिया तुम्हे लाचार बना देगी

सौ मर्जो की एक दवा होती है मुस्कुराहट
ये रंजीदा फितरत तुम्हे बीमार बना देगी

नफ़रत बुरी चीज है इसे दिल में जगह न दो
यह शीशे के टुकड़ों को भी तलवार बना देगी

हालात कुछ भी हों “अर्श” इंसानियत मत भूलना
यह खुश अखलाकी तुम्हे शाहकार बना देगी

2 Likes · 6 Comments · 448 Views
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