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8 Apr 2018 · 1 min read

ज़िन्दगी से वादा कुछ यूं भी निभाना पड़ता है

ज़िंदगी से कभी कभी वादा यूं भी निभाना पड़ता है
दिल चाहे खुलकर रोना बस मुस्कुराना पड़ता है
खामोश रहकर कुछ यूं ही खुद को समझाना पड़ता है
समझ न पाये जब कोई हमको..खिलखिलाना पड़ता है
जीते जी कुछ मर न पाये अंदर आत्मविश्वास जगाना पड़ता है
ज़िंदगी से कभी कभी वादा यूं भी निभाना पड़ता है
खुद को पाने के लिए जब खुद में ही खोना पड़ता है
जीवन की रणभूमि में जब स्वयं को सारथी बनाना पड़ता है
ऊपर बैठा देखे वो बाज़ीगर हमको बस विश्वास जताना पड़ता है © अनुजा कौशिक

Language: Hindi
232 Views
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