Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
20 Oct 2019 · 1 min read

ज़िंदादिली

क्या खूब है यह ज़िंदगी हम ज़िंदगी से खेले।
कल कि हमें क्यों खबर जब हो ना हम अकेले ।
मंज़िल कोई भी हो कोई डगर हमें इसकी क्यों फ़िक्र
जाना किधर है किस मोड़ पर हम खुद ही ढूंढ लेंगे।
हँस खेल के ग़म बांट लो यह सोचकर नहीं तुम अकेले ।
ये क्या हुआ क्यों हो ख़फा गुमसुम से यूँ ग़मज़दा।
सब साथ है तो ज़िंदगी वरना रहेंगे मौत में सब अकेले।
ज़िंदादिली से काट लो जिंदगानी का यह सफर।
वैसे मिलेंगे बहुत ढोते जिंदा लाश हर पल जीते मरते।

Language: Hindi
181 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Shyam Sundar Subramanian
View all
You may also like:
टूटा हुआ सा
टूटा हुआ सा
Dr fauzia Naseem shad
*बेचारे पति जानते, महिमा अपरंपार (हास्य कुंडलिया)*
*बेचारे पति जानते, महिमा अपरंपार (हास्य कुंडलिया)*
Ravi Prakash
सोने के पिंजरे से कहीं लाख़ बेहतर,
सोने के पिंजरे से कहीं लाख़ बेहतर,
Monika Verma
स्वप्न विवेचना -ज्योतिषीय शोध लेख
स्वप्न विवेचना -ज्योतिषीय शोध लेख
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
"चालाकी"
Ekta chitrangini
हास्य व्यंग्य
हास्य व्यंग्य
प्रीतम श्रावस्तवी
शान्त हृदय से खींचिए,
शान्त हृदय से खींचिए,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
हम बेजान हैं।
हम बेजान हैं।
Taj Mohammad
दीवाली
दीवाली
Mukesh Kumar Sonkar
साजिशें ही साजिशें...
साजिशें ही साजिशें...
डॉ.सीमा अग्रवाल
समय ⏳🕛⏱️
समय ⏳🕛⏱️
डॉ० रोहित कौशिक
*निकला है चाँद द्वार मेरे*
*निकला है चाँद द्वार मेरे*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
बाल कविता: तितली रानी चली विद्यालय
बाल कविता: तितली रानी चली विद्यालय
Rajesh Kumar Arjun
" पाती जो है प्रीत की "
भगवती प्रसाद व्यास " नीरद "
2571.पूर्णिका
2571.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
" ज़ख़्मीं पंख‌ "
Chunnu Lal Gupta
देखी देखा कवि बन गया।
देखी देखा कवि बन गया।
Satish Srijan
लोकतंत्र की आड़ में तानाशाही ?
लोकतंत्र की आड़ में तानाशाही ?
Shyam Sundar Subramanian
ऐ मौत
ऐ मौत
Ashwani Kumar Jaiswal
प्रश्न –उत्तर
प्रश्न –उत्तर
Dr.Priya Soni Khare
या रब
या रब
Shekhar Chandra Mitra
*पहचान* – अहोभाग्य
*पहचान* – अहोभाग्य
DR ARUN KUMAR SHASTRI
तुम्हें नहीं पता, तुम कितनों के जान हो…
तुम्हें नहीं पता, तुम कितनों के जान हो…
Anand Kumar
"माटी से मित्रता"
Dr. Kishan tandon kranti
इस धरा का इस धरा पर सब धरा का धरा रह जाएगा,
इस धरा का इस धरा पर सब धरा का धरा रह जाएगा,
लोकेश शर्मा 'अवस्थी'
ग़ज़ल
ग़ज़ल
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
दिखाना ज़रूरी नहीं
दिखाना ज़रूरी नहीं
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
■ कोई तो हो...।।
■ कोई तो हो...।।
*Author प्रणय प्रभात*
दर्द
दर्द
Dr. Seema Varma
कार्यशैली और विचार अगर अनुशासित हो,तो लक्ष्य को उपलब्धि में
कार्यशैली और विचार अगर अनुशासित हो,तो लक्ष्य को उपलब्धि में
Paras Nath Jha
Loading...