ज़िंदगी का यू टर्न
चलते चलते हमारी जिंदगी ने ,
अचानक यह कैसा यू टर्न ले लिया ।
यूं लगे जैसे हमने अपने ही ,
पैरों पर कुल्हाड़ी को मार लिया।
ये किस अनजानी डगर पर आ गए ,
हाय ! हमने यह क्या किया ?
खो बैठे अपना चैन और सुकूं,
हमने यह क्यों किया ?
मुड़कर देखा तो पाया हमने वो ,
रास्ता ही खो दिया।
चल रहे थे इससे पहले जिस पथ पर ,
वो न जाने कहां छूट गया।
अब न कोई मंजिल है ना कोई ठिकाना ,
तकदीर ने किस दोराहे पर लाकर खड़ा किया?
हमने तो अपनी जिंदगी की यह तस्वीर न सोची थी ,
फिर विधाता ने यह क्यों किया ?
अब तो वापिस जाने की हिम्मत न रही ,
उम्र के इस पड़ाव में आकर समय भी खो दिया।
अब जो मार्ग दिख रहा है वो आखिरी रास्ता है ।
बस यही मेरे मुस्तकबिल ने दिखा दिया।