ज़रा सी भूल से
ज़रा सी भूल से जिंदगी पलट गई।
आशायें दिल की किस करवट गई।
जतन बहुत किये सुलझ जाये ये भी
वक्त की बस, उल्झती ही लट गई।
पहचानने की कोशिश में थी अभी आंखें
पर्दे से लेकिन, तस्वीर हट गई।
उड़ने को था सामने खुला आसमान
पतंग अपनी लेकिन ,उड़ते ही कट गई।
गुमान था जिन के चलने पर हमें
वो सांसें छोड़ साथ, झटपट गई।
सुरिंदर कौर