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28 Aug 2018 · 1 min read

जहाँ से चले थे वहीं आ गए

गीत- जहाँ से चले थे वहीं आ गए
◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆
वो’ कैसा सफर था कि चकरा गए
जहाँ से चले थे वहीं आ गए

सलामत हमारे सभी अंग हैं
कि चलने के’ अच्छे हुनर संग हैं
मगर इक मनुज ने फँसाया हमें
था’ ऐसे डगर पे चलाया हमें
कि मनहूस पत्थर से’ टकरा गए-
जहाँ से चले थे वहीं आ गए

धरा गोल है ये पढ़ा था कभी
कि है जिंदगी गोल जाना अभी
चले तो बहुत दिल लगाकर यहाँ
चले थे जहाँ से खड़े हैं वहाँ
छला भाग्य ने यूँ कि घबरा गए-
जहाँ से चले थे वहीं आ गए

गगन चूमने को चले थे मगर
नहीं उड़ सके आ गिरे टूटकर
हमें गर्व था अपनी’ परवाज़ पर
शिकारी ने’ मारा मगर घात कर
कपट यूँ किया है कि गश खा गए-
जहाँ से चले थे वहीं आ गए

– आकाश महेशपुरी

Language: Hindi
Tag: गीत
1 Like · 1051 Views
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