जल गए अरमान (ग़ज़ल) { सूरत कोचिंग सेंटर अग्निकांड में मृत मासूमों को श्रधांजलि}
जाने कैसे ,क्यों और किसलिए ऐ खुदा !
इन २० चिरागों को किसने बुझा दिया ?
कमसिन तन में नाज़ुक से अरमां पाले ,
किसने उन्हें बेदर्दी से राख में बदल दिया ?
माता-पिता की आँखों के तारे ही थे न वोह ,
तोड़कर जिन्हें धूल में किसने मिला दिया .
तालीम लेकर मुकद्दर बनाने का ख्वाब था ,
ख्वाब इनका बस हाय!ख्वाब ही रह गया .
यकीन है मिलेगी सज़ा इन गुनाहगारों को ,
जिन्होंने २० माओं की गोद को उजाड़ दिया .
उम्र भर आँखों में अश्क ,होठों पर आहें बस !!,
बेबस माता-पिता के जीने का ये समां रह गया.