Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
20 Nov 2017 · 1 min read

जरा सा रुके ! और सोंचे !

मालूम नहीं लोगों के
मन से कुंठा निकलती नहीं है !
माँ खुद गीले में रहकर,
बच्चे को सूखे में सुलाती है !
.
पता नहीं ये समाज !
अपनों से फैला है !
खुद नापाक साफ़ बताकर,
कीचड़ दूसरों पर फेंकते है !
.
गर है ये समाज! ये धर्म! माई-बाप!
धोकर अपनी गंदगी बाहर क्यों फैलाते है!
वहाँ भी तो प्रभु का वास है !
सार्वजनिक तौर से लोग आते-जाते है !

Language: Hindi
Tag: शेर
1 Like · 1 Comment · 299 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Mahender Singh
View all
You may also like:
परों को खोल कर अपने उड़ो ऊँचा ज़माने में!
परों को खोल कर अपने उड़ो ऊँचा ज़माने में!
धर्मेंद्र अरोड़ा मुसाफ़िर
गीत
गीत
Kanchan Khanna
- ଓଟେରି ସେଲଭା କୁମାର
- ଓଟେରି ସେଲଭା କୁମାର
Otteri Selvakumar
।। कसौटि ।।
।। कसौटि ।।
विनोद कृष्ण सक्सेना, पटवारी
काग़ज़ ना कोई क़लम,
काग़ज़ ना कोई क़लम,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
जिंदगी को जीने का तरीका न आया।
जिंदगी को जीने का तरीका न आया।
Taj Mohammad
अगर किरदार तूफाओँ से घिरा है
अगर किरदार तूफाओँ से घिरा है
'अशांत' शेखर
!! बोलो कौन !!
!! बोलो कौन !!
Chunnu Lal Gupta
जहाँ तक राजनीति विचारधारा का संबंध है यदि वो सटीक ,तर्कसंगत
जहाँ तक राजनीति विचारधारा का संबंध है यदि वो सटीक ,तर्कसंगत
DrLakshman Jha Parimal
दो शे'र
दो शे'र
डॉक्टर वासिफ़ काज़ी
गरिमामय प्रतिफल
गरिमामय प्रतिफल
Shyam Sundar Subramanian
पढ़ाई
पढ़ाई
Kanchan Alok Malu
मुक्तक
मुक्तक
दुष्यन्त 'बाबा'
बेपरवाह
बेपरवाह
Omee Bhargava
जिस प्रकार प्रथ्वी का एक अंश अँधेरे में रहकर आँखें मूँदे हुए
जिस प्रकार प्रथ्वी का एक अंश अँधेरे में रहकर आँखें मूँदे हुए
Sukoon
*सुख या खुशी*
*सुख या खुशी*
Shashi kala vyas
हरकत में आयी धरा...
हरकत में आयी धरा...
डॉ.सीमा अग्रवाल
अल्फाज़.......दिल के
अल्फाज़.......दिल के
Neeraj Agarwal
"योगी-योगी"
*Author प्रणय प्रभात*
कोई नहीं देता...
कोई नहीं देता...
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
सबनम की तरहा दिल पे तेरे छा ही जाऊंगा
सबनम की तरहा दिल पे तेरे छा ही जाऊंगा
Anand Sharma
है कश्मकश - इधर भी - उधर भी
है कश्मकश - इधर भी - उधर भी
Atul "Krishn"
बड़ी सी इस दुनिया में
बड़ी सी इस दुनिया में
पूर्वार्थ
सत्य ही सनाान है , सार्वभौमिक
सत्य ही सनाान है , सार्वभौमिक
Leena Anand
किस दौड़ का हिस्सा बनाना चाहते हो।
किस दौड़ का हिस्सा बनाना चाहते हो।
Sanjay ' शून्य'
एक अणु में इतनी ऊर्जा
एक अणु में इतनी ऊर्जा
AJAY AMITABH SUMAN
अपनों का दीद है।
अपनों का दीद है।
Satish Srijan
उतर जाती है पटरी से जब रिश्तों की रेल
उतर जाती है पटरी से जब रिश्तों की रेल
हरवंश हृदय
"फूल बिखेरता हुआ"
Dr. Kishan tandon kranti
💐प्रेम कौतुक-265💐
💐प्रेम कौतुक-265💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
Loading...