Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
23 Dec 2020 · 1 min read

“जरा आदत पुरानी है”

संभल कर जो चले होंगे,वही अक्सर गिरे होंगे,हमें पी कर बहकने की जरा आदत पुरानी है।
मेरे चेहरे को पढ़ने में, सभी नाकाम ठहरे है, मेरी आंखों में जो भी हैं जरा सूरत पुरानी है।

कुमार अखिलेश
देहरादून उत्तराखंड
9627547054

Language: Hindi
5 Likes · 4 Comments · 318 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
आजमाइश
आजमाइश
Suraj Mehra
"आशा-तृष्णा"
Dr. Kishan tandon kranti
बसंत आने पर क्या
बसंत आने पर क्या
Surinder blackpen
🙅महा-ज्ञान🙅
🙅महा-ज्ञान🙅
*Author प्रणय प्रभात*
चेहरे की पहचान ही व्यक्ति के लिये मायने रखती है
चेहरे की पहचान ही व्यक्ति के लिये मायने रखती है
शेखर सिंह
फितरत
फितरत
Dr.Khedu Bharti
यूं साया बनके चलते दिनों रात कृष्ण है
यूं साया बनके चलते दिनों रात कृष्ण है
Ajad Mandori
शिक्षक
शिक्षक
Mukesh Kumar Sonkar
बुझा दीपक जलाया जा रहा है
बुझा दीपक जलाया जा रहा है
कृष्णकांत गुर्जर
* लोकतंत्र महान है *
* लोकतंत्र महान है *
surenderpal vaidya
उनसे  बिछड़ कर
उनसे बिछड़ कर
श्याम सिंह बिष्ट
आदमी हैं जी
आदमी हैं जी
Neeraj Agarwal
ज़िंदगानी
ज़िंदगानी
Shyam Sundar Subramanian
ग़ज़ल
ग़ज़ल
ईश्वर दयाल गोस्वामी
नग मंजुल मन मन भावे🌺🪵☘️🍁🪴
नग मंजुल मन मन भावे🌺🪵☘️🍁🪴
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस :इंस्पायर इंक्लूजन
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस :इंस्पायर इंक्लूजन
Dr.Rashmi Mishra
कैदी
कैदी
Tarkeshwari 'sudhi'
I want my beauty to be my identity
I want my beauty to be my identity
Ankita Patel
कठिनाई  को पार करते,
कठिनाई को पार करते,
manisha
आदमी और मच्छर
आदमी और मच्छर
Kanchan Khanna
प्रेम में डूब जाने वाले,
प्रेम में डूब जाने वाले,
Buddha Prakash
खुद ही रोए और खुद ही चुप हो गए,
खुद ही रोए और खुद ही चुप हो गए,
Vishal babu (vishu)
*घर में बैठे रह गए , नेता गड़बड़ दास* (हास्य कुंडलिया
*घर में बैठे रह गए , नेता गड़बड़ दास* (हास्य कुंडलिया
Ravi Prakash
8. टूटा आईना
8. टूटा आईना
Rajeev Dutta
मनुष्य की महत्ता
मनुष्य की महत्ता
ओंकार मिश्र
*हो न लोकतंत्र की हार*
*हो न लोकतंत्र की हार*
Poonam Matia
कैसे देखनी है...?!
कैसे देखनी है...?!
Srishty Bansal
*** एक दीप हर रोज रोज जले....!!! ***
*** एक दीप हर रोज रोज जले....!!! ***
VEDANTA PATEL
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Jitendra Kumar Noor
कविता
कविता
Bodhisatva kastooriya
Loading...